प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। 13 जैक राइफल के संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया।
टकराव इतना नजदीक से हुआ कि संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। संजय कुमार की इस दिलेरी ने अन्य जवानों में नई जान फूंक दी। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला। 5 जुलाई को प्वाइंट 4875 और सटी चोटियों को वापस हासिल करने के लिए मेजर एसवी भास्कर, मेजर गुरप्रीत सिंह, मेजर विकास वोहरा और कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में टीमें आगे बढ़ीं। संजय कुमार द्वारा रखी गई जीत की नींव पर इन टीमों ने टाइगर हिल के शिखर सहित डॉग हिल, स्टैंग्पा नार्थ पर कब्जा कर लिया। लद्दाख स्काउट्स के नायब सूबेदार ताशी छेपाल का साहसिक नेतृत्व मिसाल के रूप में उभरा।
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